मौसम बेमौसम: बदलते पर्यावरण की चुनौती
मौसम का बेमौसम बदलना आज के समय में एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह न केवल पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन, खेती, और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। बेमौसम बारिश, असामान्य गर्मी या ठंड, और अचानक आने वाली प्राकृतिक आपदाएँ जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत हैं।

मौसम बेमौसम बदलने के कारण
- जलवायु परिवर्तन: ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा से धरती का तापमान बढ़ रहा है।
- वनों की कटाई: जंगलों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है।
- औद्योगिकीकरण: कारखानों और वाहनों से निकलने वाला धुआं वायुमंडल को प्रदूषित कर रहा है।
- प्लास्टिक कचरा: प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग और इसके सही तरीके से नष्ट न होने से पर्यावरण पर असर पड़ रहा है।
- प्राकृतिक संसाधनों का अति-शोषण: नदियों, खदानों, और भूमि का अधिक दोहन पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
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खेती पर प्रभाव:
- बेमौसम बारिश से फसलों को नुकसान होता है।
- असमय पाला पड़ने से उपज कम हो जाती है।
- मानसून में देरी से बुवाई प्रभावित होती है।
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मानव जीवन पर प्रभाव:
- अचानक मौसम बदलने से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- गर्मी और ठंड का असामान्य बढ़ना स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता है।
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